हम हुसैन की हत्या के दिन मातम क्यों नहीं करते?

हर वर्ष नये हिज्री साल के आगमन पर हम अल्लाह के दिनों में से एक ऐसे दिन का अभिनंदन करते हैं, जिसके बारे में लोगों ने मतभेद किया है, और वह मुहर्रम के महीने का दसवाँ दिन है। इसके अंदर दो ऐसी प्रभवाशाली घटनाएँ घटीं हैं जिनके कारण लोगों ने इस दिन के कार्यों के बारे में मतभेद किया है: पहली घटना: मूसा अलैहिस्सलाम और उनकी क़ौम की मुक्ति, तथा फिरऔन और उसकी सेना का विनाश। दूसरी घटना: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के नवासे हुसैन बिन अली बिन अबी तालिब की हत्या। हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु और उनसे पहले उसमान रज़ियल्लाहु अन्हु की हत्या इस उम्मत में फित्नों के सबसे बड़े कारणों में से है।
नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मूसा अलैहिस्सलाम के नजात और फिरऔन के विनाश पर अल्लाह के प्रति आभार प्रकट करने के तौर पर, इस दिन रोज़ा रखने का निर्देश दिया है। उसके रोज़े का हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु की हत्या से कोई संबंध नहीं है। प्रस्तुत लेख में आशूरा के दिन के बारे में पथभ्रष्ट होने वाले दलों और संप्रदायों, हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु के बारे में सही स्थिति का उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि अहले सुन्नत इस बारे में अल्लाह की शरीअत का पालन करते हैं, इसलिए वे लोग इस दि मातम नहीं करते हैं।

اسم الكتاب:  لماذا لا نجعل يوم مقتل الحسين مأتما ؟


تأليف: ماجد بن عبد الرحمن الفريان

الناشر: المكتب التعاوني للدعوة وتوعية الجاليات بالربوة


نبذة مختصرة: كتاب باللغة الهندية فيه بيان الطوائف التي ضلت في يوم عاشوراء، وبيان الموقف الصحيح من مقتل الحسين - رضي الله عنه -، وأن أهل السنة لا يعملون إلا ما شرع الله - عزوجل -،ولذا لا يجعلون يوم مقتل الحسين - رضي الله - عنه مأتما، فلا يفعلون كما تفعله الرافضة.

ماجد بن عبد الرحمن الفريان
हम हुसैन की हत्या के दिन मातम क्यों नहीं करते?

किताब के बारे में

लेखक :

ماجد بن عبد الرحمن الفريان

प्रकाशक :

www.islamhouse.com

वर्ग :

Doctrine & Sects