क़ुर्आन और पैग़म्बर

संसार में जितने भी सत्य के संदेशवाहक आये सब ने अपना जीवन उन झूठे ईश्वरों के ईश्वरत्व का खण्डन करने में लगाया, जिन्हें इंसान ने अल्लाह को छोड़ कर अपना ईश्वर बना लिया था। लेकिन सदा यही होता रहा कि उनके बाद उनके मानने वालों ने अज्ञानतापूर्ण श्रद्धा के कारण स्वयं उन्हीं को ईश्वर या ईश्वरत्व में ईश्वर का भागीदार बना लिया। इस पुस्तिका में इसका कारण स्पष्ट करते हुए क़ुर्आन के हवाले से ईश्दूतों की वास्तविकता, उनके कर्तव्यों और उद्देशों का वर्णन किया गया है, तथा विशिष्ट रूप से अन्तिम संदेष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के शिष्टाचाऱ और विशेषताओं का उल्लेख किया गया है।
क़ुर्आन और पैग़म्बर

Um bókina

Höfundur :

أبو الأعلى المودودي

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