فتوا کے بارے میں

تاریخ :

Sat, Oct 25 2014
سوال

“हुसैन मुझसे हैं और मैं हुसैन से हूँ” एक सही हदीस है

मैं अपने विश्वविद्यालय में एक बूथ से गुज़रा जो इस्लामी दिखाई दे रहा था, और मैं ने पोस्टरों और पुस्तकों पर मौजूद लेखनों पर ध्यान देना सीखा था, मैं ने एक बार एक अच्छी तरह से प्रस्तुत इस्लामी बूथ की तरफ देखा, लेकिन वह अहमदियों का निकला क्योंकि उसमें मिर्ज़ा के विशाल चित्र लगे थे। बहरहाल, मैं एक बार “सक़लैन” नामक समूह से गुज़रा जिसके बारे में मैं ने कभी नहीं सुना है। वे कौन लोग हैं ॽ उन्हों ने यह प्रकाशित किया था : “हुसैन मुझसे हैं और मैं हुसैन से हूँ” (जो इमाम अहमद बिन हंबल, तबरानी और मिश्कातुल मसाबीह समेत कई स्रोतों द्वारा वर्णित है)। तो क्या यह हदीस प्रामाणिक है ॽ
جواب
جواب
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है। उपर्युक्त हदीस तिर्मिज़ी (हदीस संख्या : 3775), इब्ने माजा (हदीस संख्या : 144) और अहमद (हदीस संख्या : 17111) ने याला बिन मुर्रा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि उन्हों ने कहा : अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “हुसैन मुझसे हैं और मैं हुसैन से हूँ। अल्लाह उस से महब्बत करे जो हुसैन से महब्बत करता है। हुसैन अस्बात में से एक सिब्त हैं।” इस हदीस को तिर्मिज़ी और अल्बानी ने हसन कहा है। यह हदीस हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु की प्रतिष्ठा (फज़ीतल) को दर्शाती है, और अहले सुन्नत हुसैन से प्यार करते हैं, उनका सम्मान करते हैं, उनसे वफादारी रखते हैं और उनके लिए स्वर्ग की शहादत देते हैं। किंतु वे उनके बारे में राफिज़ियों और शियाओं के समान अतिशयोक्ति नहीं करते हैं, चुनाँचे वे अल्लाह को छोड़कर उन्हें पुकारते नहीं हैं, उनके के बारे में गलतियों से मासूम होने का अक़ीदा नहीं रखते हैं और न ही इस बात का कि वह परोक्ष (गैब) का ज्ञान रखते हैं, तथा वे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम से द्वेष (बुग़्ज़ व नफरत) नहीं रखते हैं, तथा उन में से किसी को काफिर (नास्तिक) नहीं ठहराते हैं, तथा वे अबू बक्र, उमर, आइशा और उनके अलावा अन्य सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम के बारे में दोषारोप नहीं करते। इस बात की आशंका है कि (सक़लैन) नामी समूह एक शिया समूह है, अतः आप उस से दूर रहें और अहले सुन्नत के तरीक़े और उनके समूह के प्रतिबद्ध रहें। हम अल्लाह तआला से अपने और आपके लिए तौफीक़ और शुद्धता व यथार्थता का प्रश्न करते हैं। और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।