فتوا کے بارے میں

تاریخ :

Sun, Oct 26 2014
سوال

क्या यात्रा से पहले क़ुर्आन की कोई विशिष्ट सूरत पढ़ना सुन्नत में साबित है

मैं ने जुबैर रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस पढ़ी है कि उन्हों ने फरमाया कि अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया: ‘‘जब तुम यात्रा पर निकलने का इरादा करो तो तुम्हें सूरतुल काफिरून, सूरतुन्नस्र, सूरतुल इख्लास, सूरतुल फलक़ और सुरतुन-नास पढ़ना चाहिए, किंतु एक ही बार में बिस्मिल्लाह से शुरू करो और बिस्मिल्लाह पर अंत करो।” इसलिए मैं क़ुर्आन और हदीस की रोशनी में इसके उत्तर का ज़रूरतमंद हूँ।
جواب
جواب
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है। प्रश्न में वर्णित हदीस के शब्द यह हैं : जुबैर बिन मुत्इम रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्हों ने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “ऐ जुबैर ! क्या तुम इस बात को पसंद करते हो कि जब तुम यात्रा पर निकलो तो रूप व आकार में अपने साथियों में सबसे निराले हो, और उनसे अधिक तोशा वाले हो ॽ तो मैं ने कहा : हाँ, मेरे मां बाप आप पर क़ुर्बान हों। आप ने फरमाया : ‘‘तुम इन पाँच सूरतों को पढ़ो : ‘‘क़ुल या अय्योहल काफिरून”, ‘‘इज़ा जाआ नस्रुल्लाहि वल फत्हो”, ‘‘क़ुल हुवल्लाहो अहद”, ‘‘क़ुल अऊज़ो बि-रब्बिन्नास”, “क़ुल अऊज़ो बि-रब्बिल फलक़”, तथा हर सूरत को बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम से आरंभ करो और अपनी क़िराअत को बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम पर अंत करो।” जुबैर ने कहा : मैं मालदार और बहुत धन वाला था, चुनांचे मैं अल्लाह जिसके साथ चाहता था यात्रा पर निकलता था तो मैं उनमें सबसे खराब रूप व आकार वाला होता था और सबसे कम तोशे वाला होता था, तो जब से रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें ये सूरतें सिखाई हैं और मैं ने इन्हें पढ़ी हैं: तो मैं उन में सबसे अच्छा रूप व आकार वाला और सबसे अधिक तोशे वाला होता हूँ यहाँ तक कि मैं अपने उस सफर से वापस आ जाऊँ।” इसे अबू याला ने अपनी मुसनद (13/339, हदीस संख्या : 7419) में रिवायत किया है। यह एक ज़ईफ हदीस है, इसके अंदर अज्ञात (मजहूल) रावी हैं। हैसमी ने ‘‘मजमउज़्ज़वाइद” (20/134) में इस के बारे में फरमाया है : इस में ऐसे रावी हैं जिन्हें मैं नहीं जानता हूँ।”. तथा शैख अल्बानी ने ‘‘अस्सिलिसिला अज़्ज़ईफा” (हदीस संख्या : 6963) में इस हदीस के बारे में फरमाया : यह मुंकर है। इस आधार पर इस हदीस से सफर से पहले क़ुर्आन पढ़ने के मुस्तहब होने पर दलील पकड़ना शुद्ध नहीं है, जिस तरह कि उस से सूरतों के शुरू में बिस्मिल्लाह पढ़ने के मसअले पर दलील पकड़ना ठीक नहीं है। तथा प्रश्न संख्या : (149125) का उत्तर देखें। और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।